Thursday, February 6, 2014

वैदिक ग्रंथों में मौजूद हैं रामसेतु के प्रमाण

Photo: वैदिक ग्रंथों में मौजूद हैं रामसेतु के प्रमाण...

"श्रीमद् आद्यजगद्गुरु शंकराचार्य वैदिक शोध संस्थानम्‌, वाराणसी"... के अध्यक्ष परमहंस परिव्रजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती महाराज जी... ने वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण, रामकेर्ति (सर्ग 7), रामकियेन (अ.26) जैसे अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथों का तीन महीने तक गहराई से अध्ययन और अनुसंधान करने के बाद प्रयाग में अपना शोध पत्र जारी किया... इसमें रामसेतु को लेकर वैदिक ग्रंथों में दी गई गणनाओं के अनुसार सही तथ्य और प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं...

शोध पत्र में स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी ने बताया है कि भगवान श्रीराम ने 41 वर्ष की आयु में... 1 करोड़ 81 लाख 58 हजार 117 विक्रम संवत पूर्व (18158060 ईसा पूर्व) पौष कृष्ण दशमी तिथि... को सेतु का निर्माण शुरू किया था। इस संबंध में अग्निवेश रामायण में कहा गया है 'सेतोर्दशम्यामारम्भः'।

इसका दूसरा प्रमाण मिलता है आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा... ढाई हजार साल पहले रचित... द्वादश ज्योतिर्लिंगम्‌ स्तोत्र में। इसमें कहे गए 'सुताम्रपर्णी जलराशियोगे निबध्यसेतुत' से श्रीराम द्वारा सेतु बनाने के पुख्ता प्रमाण मिलते हैं।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग साक्षात प्रमाण...

शोध में कहा गया है कि श्रीराम सेतु भगवान श्रीराम द्वारा ही निर्मित होने का ज्वलंत और साक्षात प्रमाण स्वयं रामेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यही कारण है कि यह ज्योतिर्लिंग सेतुबंध रामेश्वरम कहा जाता है। इस शास्त्रीय मीमांसा के अनुसार श्री रामसेतु निर्विवाद सत्य है और साथ ही हिन्दू आस्था का केंद्र है।

काल गणना के अनुसार...

भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार ब्रह्म संवत सबसे प्राचीन काल गणना है, जो ब्रह्मा की उत्पत्ति अर्थात सृष्टि के आरंभ से ब्रह्मा की समाप्ति अर्थात सृष्टि प्रलय तक होती है। यह 1 करोड़ 24 लाख मानव वर्ष यानी ब्रह्मा का एक पल होता है। इसी तरह घटी, दिन, रात्रि, पक्ष, मास तथा वर्ष के अनुसार ब्रह्मा की द्विपरार्ध आयु होती है।

एक, दश, शत, सहस्र, अयुत लक्ष्य, प्रयुत, कोटि, अर्वुद, अब्ज, खर्व, निखर्व, महापदम, शंकु, समुद्र अल्पपरार्ध, द्विपरार्ध संख्या होती है। ब्रह्मा के एक दिन को कल्प कहते हैं। ब्रह्मा का एक दिन 4 अरब 32 करोड़ मानव वर्षों के बराबर होता है। उसमें संधि सहित चौदह मनवन्तर होते हैं। एक मनुवन्तर में 71 महायुग (चतुर्युग) होते हैं।

वर्तमान में इस सृष्टि के छः मनवन्तर बीत चुके हैं और सातवें मनवन्तर वैवस्वत का 28वें चतुर्युगीय वर्ष में कलियुग का 5109वाँ वर्ष चल रहा है...

श्रीराम का प्राकट्य इसी वैवस्वत मन्वन्तर के 24वें त्रेता में, सृष्टि वर्ष के 1 अरब 94 करोड़ 26 लाख, 93 हजार वर्ष व्यतीत होने पर रावण के वध के लिए दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ था।

चतुर्विशे युगे रामो वसिष्ठेन पुरोधसा।
सप्तमो रावणस्यार्थे जज्ञे दशरथात्मजः॥
(वायु पुराण 18/72)

रामसेतु की लंबाई-चौड़ाई को लेकर भारतीय धर्मशास्त्रों में दिए गए तथ्य इस प्रकार हैं-

दस योजनम विस्तीर्णम्‌ शतयोजनमायतम्‌
(वा.रा. 22/76)

अर्थात श्रीराम सेतु 100 योजन (1200 किलोमीटर) लंबा और 10 योजन (120 किलोमीटर) चौड़ा था।

अन्य साक्ष्य...

* शास्त्रीय साक्ष्यों के अनुसार इस विस्तृत सेतु का निर्माण शिल्प कला विशेषज्ञ विश्वकर्मा के पुत्र नल ने पौष कृष्ण दशमी से चतुर्दशी तिथि तक मात्र पाँच दिन में किया था।

* सेतु समुद्र का भौगोलिक विस्तार भारत स्थित धनुष कोटि से लंका स्थित सुवेल पर्वत तक है।

* महाबलशाली सेतु निर्माताओं द्वारा विशाल शिलाओं और पर्वतों को उखाड़कर यांत्रिक वाहनों द्वारा समुद्र तट तक ले जाने का शास्त्रीण प्रमाण उपलब्ध है।

* भगवान श्रीराम ने प्रवर्षण गिरि (किष्किन्धा) से मार्गशीर्ष अष्टमी तिथि को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में लंका विजय के लिए प्रस्थान किया था।
 
वैदिक ग्रंथों में मौजूद हैं रामसेतु के प्रमाण
 
"श्रीमद् आद्यजगद्गुरु शंकराचार्य वैदिक शोध संस्थानम्‌, वाराणसी"... के अध्यक्ष परमहंस परिव्रजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती महाराज जी... ने वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण, रामकेर्ति (सर्ग... 7), रामकियेन (अ.26) जैसे अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथों का तीन महीने तक गहराई से अध्ययन और अनुसंधान करने के बाद प्रयाग में अपना शोध पत्र जारी किया... इसमें रामसेतु को लेकर वैदिक ग्रंथों में दी गई गणनाओं के अनुसार सही तथ्य और प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं...

शोध पत्र में स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी ने बताया है कि भगवान श्रीराम ने 41 वर्ष की आयु में... 1 करोड़ 81 लाख 58 हजार 117 विक्रम संवत पूर्व (18158060 ईसा पूर्व) पौष कृष्ण दशमी तिथि... को सेतु का निर्माण शुरू किया था। इस संबंध में अग्निवेश रामायण में कहा गया है 'सेतोर्दशम्यामारम्भः'।

इसका दूसरा प्रमाण मिलता है आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा... ढाई हजार साल पहले रचित... द्वादश ज्योतिर्लिंगम्‌ स्तोत्र में। इसमें कहे गए 'सुताम्रपर्णी जलराशियोगे निबध्यसेतुत' से श्रीराम द्वारा सेतु बनाने के पुख्ता प्रमाण मिलते हैं।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग साक्षात प्रमाण...

शोध में कहा गया है कि श्रीराम सेतु भगवान श्रीराम द्वारा ही निर्मित होने का ज्वलंत और साक्षात प्रमाण स्वयं रामेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यही कारण है कि यह ज्योतिर्लिंग सेतुबंध रामेश्वरम कहा जाता है। इस शास्त्रीय मीमांसा के अनुसार श्री रामसेतु निर्विवाद सत्य है और साथ ही हिन्दू आस्था का केंद्र है।

काल गणना के अनुसार...

भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार ब्रह्म संवत सबसे प्राचीन काल गणना है, जो ब्रह्मा की उत्पत्ति अर्थात सृष्टि के आरंभ से ब्रह्मा की समाप्ति अर्थात सृष्टि प्रलय तक होती है। यह 1 करोड़ 24 लाख मानव वर्ष यानी ब्रह्मा का एक पल होता है। इसी तरह घटी, दिन, रात्रि, पक्ष, मास तथा वर्ष के अनुसार ब्रह्मा की द्विपरार्ध आयु होती है।

एक, दश, शत, सहस्र, अयुत लक्ष्य, प्रयुत, कोटि, अर्वुद, अब्ज, खर्व, निखर्व, महापदम, शंकु, समुद्र अल्पपरार्ध, द्विपरार्ध संख्या होती है। ब्रह्मा के एक दिन को कल्प कहते हैं। ब्रह्मा का एक दिन 4 अरब 32 करोड़ मानव वर्षों के बराबर होता है। उसमें संधि सहित चौदह मनवन्तर होते हैं। एक मनुवन्तर में 71 महायुग (चतुर्युग) होते हैं।

वर्तमान में इस सृष्टि के छः मनवन्तर बीत चुके हैं और सातवें मनवन्तर वैवस्वत का 28वें चतुर्युगीय वर्ष में कलियुग का 5109वाँ वर्ष चल रहा है...

श्रीराम का प्राकट्य इसी वैवस्वत मन्वन्तर के 24वें त्रेता में, सृष्टि वर्ष के 1 अरब 94 करोड़ 26 लाख, 93 हजार वर्ष व्यतीत होने पर रावण के वध के लिए दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ था।

चतुर्विशे युगे रामो वसिष्ठेन पुरोधसा।
सप्तमो रावणस्यार्थे जज्ञे दशरथात्मजः॥
(वायु पुराण 18/72)

रामसेतु की लंबाई-चौड़ाई को लेकर भारतीय धर्मशास्त्रों में दिए गए तथ्य इस प्रकार हैं-

दस योजनम विस्तीर्णम्‌ शतयोजनमायतम्‌
(वा.रा. 22/76)

अर्थात श्रीराम सेतु 100 योजन (1200 किलोमीटर) लंबा और 10 योजन (120 किलोमीटर) चौड़ा था।

अन्य साक्ष्य...

* शास्त्रीय साक्ष्यों के अनुसार इस विस्तृत सेतु का निर्माण शिल्प कला विशेषज्ञ विश्वकर्मा के पुत्र नल ने पौष कृष्ण दशमी से चतुर्दशी तिथि तक मात्र पाँच दिन में किया था।

* सेतु समुद्र का भौगोलिक विस्तार भारत स्थित धनुष कोटि से लंका स्थित सुवेल पर्वत तक है।

* महाबलशाली सेतु निर्माताओं द्वारा विशाल शिलाओं और पर्वतों को उखाड़कर यांत्रिक वाहनों द्वारा समुद्र तट तक ले जाने का शास्त्रीण प्रमाण उपलब्ध है।

* भगवान श्रीराम ने प्रवर्षण गिरि ( किष्किन्धा) से मार्गशीर्ष अष्टमी तिथि को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में लंका विजय के लिए प्रस्थान किया था।

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