Saturday, February 8, 2014

इस्लामी जन्नत की हकीकत



इस्लामी जन्नत की हकीकत

आपको मालूम है कि जन्नत की हकीकत क्या है ?

विश्व के लगभग सभी धर्मों में स्वर्ग और न र्कके बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है.इन में सभी धर्मों की बातों में काफी समानता पायी जाती है.

लेकिन स्वर्ग या जन्नत के बारे में जो बातें लिखी गयी हैं वह सिर्फ पुरुषों को रिझाने वाली बातें लिखी गयी हैं.जैसे मरने के बाद जन्नत में खूबसूरत जवान हूरें मिलेंगी ,जो कभी बूढ़ी नहीं होंगी .उनकी उम्र हमेशा १४-१५ साल की रहेगी.जन्नत वाले किसी भी हूर से शारीरिक सम्बन्ध बना सकेंगे.कुरआन में एक और ख़ास बात बतायी गयी है कि जन्नत में हूरों के अलावा सुन्दर लडके भी होंगे ,जिन्हें गिलमा कहा गया है .

शायद ऐसा इसलिए कहा गया होगा कि अरब और ईरान में समलैंगिक सेक्स आम बात है. आज भी पाकिस्तान में पुरुष वेश्यावृत्ति होती है .

इसलिए अक्सर जन्नत के मजे लूटने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं.लोगों ने जन्नत के लालच में दुनिया को जहन्नुम बना रखा है .इस जन्नत के लालच और जहन्नुम का दर दिखा कर सभी धर्म गुरुओं की दुकानें चल रही हैं .भोले भाले लोग जन्नत के लालच में मरान्ने मारने को तैयार हो जाते हैं ,यहाँ तक खुद आत्मघाती बम भी बन जाते हैं.

पाहिले शुरुआती दौर में तो मुसलमान हमलावर लोगों को तलवार के जोर पर मुसलमान बनाते थे.लेकिन जब खुद मुसलाम्मानों में आपस में युद्ध होने लगे तो मुआसलामानों के एक गिरोह इस्माइली लोगों ने नया रास्ता अख्तियार किया .जिस से बिना खून खराबा के आसानी से आसपास के लोगोंको मुसलमान बनाता जा सके.

नाजिरी इस्मायीलिओं के मुजाहिद और धर्म गुरु “हसन बिन सब्बाह “सन-१०९०–११२४ ने जब मिस्र में अपनी धार्मिक शिक्षा पुरीकर चकी तो वह सन १०८१ में इरान के इस्फ़हान शहर चला गया .और इरान के कजवीन प्रान्त में प्रचार करने लगा.वहां एक किला था जिसे अलामुंत कहा जाता है.यह किला तेहरान से १०० कि मी दूर,केस्पियन सागर के पास है .उस समय किले का मालिक सुलतान मालिक शाह था.उनदिनों चारों तरफ युद्ध होते रहते थे.कभी सल्जूकी कभी फातमी आपस में लड़ते थे.इसलिए सुलतान ने किले की रक्षा के लिए अलवीखानदान के एक व्यक्ती कमरुद्दीन खुराशाह को नियुक्त कर दिया था.उनदिन किला खाली पडा था..हसन बिन सब्बाह ने किला तीन हजार दीनार में खरीद लिया.

हसन को वह किला उपयोगी लगा ,क्यों कि किला सीरिया और तेहरान के मार्ग पर था .जिसपर काफिलों से व्यापार होता था.

किला एक सपाट फिसलन वाली पहाडी पर है .किले की ऊंचाई ८४० मीटर है .लेकिन वहां पानी के सोते हैं.किले की लम्बाई ४०० मीटर और चौडाई ३० मीटर है..इसके बाब हसन ने अपने लोगों और कुछ गाँव के लोगों के साथ मिलकर काफिले वालों से टेक्स लेना शुरू करदिया. इससे हसन को काफी दौलत मिली.उसके बाद हसन ने किले में तहखाने और सुरंगें भी बनवा लीं.जब किला हराभरा हो गया तो ,हसन ने किले में एक नकली जन्नत भी बनाली.जैसा कुरआन में कहा गया है,हसन आसपास के गाँव से अपने आदमियों द्वारा सुन्दर ,और कुंवारी जवान लडकियां उठावा लेताथा. और लड़किओं को अपनी जन्नत के तहखानों में कैद कर लेता था.हसन ने इस नकली जन्नत में एक नहर भी बनवाई थी ,जिसमे हमेशा शराब बहती रहती थी.किले वह सब सामान थे जो कुरआनमें जन्नत के बारे में लिखे हैं.

फिरजब हसन के लोग आसपास के गाँव में धर्म प्रचार करने जाते तो लोगों को विश्वास में लेकर उन्हें हशीस पिलाकर बेहोश कर देते थे.और जब लोग बेहोश हो जाते तो उनको उठाकर किले में ले जाते थे .उनसे कहते कि अल्लाह तुम से खुश है ,अब तुम जन्नत में रहो.लोग कुछ दिनों तक यह नादान लोग खूब अय्याशी करते और समझते थे कि वे जन्नत में हैं.फिर कुछ दिनों मौजा मस्ती करवाने के बाद लोगों दोबारा हशीश पिलाकर वापिस गाँव छोड़ दिया जाता .एक बार जन्नत का चस्का लग जाने के बाद लोग फिर से जन्नत की इच्छा करने लगते तो ,उनसे कहा जाता कि अगर फिर से जन्नत में जाना चाहते हो तो हमारा हुक्म मानो .लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते थे.ऐसे लोगों को हसिसीन कहा जाता है .मार्को पोलो ने इसका अपने विवरणों में उल्लेख किया है आज भी लोग जन्नत के लालच में निर्दोषों की हत्याएं कर रहे हैं.

यह जन्नत बहुत समय तक बनी रही.जब हलाकू खान ने १५ दिसंबर १२५६ को इस किले पर हमला किया तो किले के सूबे दार ने बिना युद्ध के किला हलाकू के हवाले कर दिया.जब हलाकू किले के अन्दर गया तो देखा वहां सिर्फ अधनंगी औरतें ही थी.हलाकू ने उन लडाकिन से पूछा तुम कौन हो ,तो वह वह बोलीं “अना मलाकुन”यानी हम हूरें हैं

यह किला आज भी सीरिया और ईरान की सीमा के पास है .सन २००४ के भूकंप में किले को थोडासा नुकसान हो गया .लेकिन आज बी लोग इस किले को देखने जाते हैं .और जन्नत की हकीकत समाज जाते हैं कि जैसे यह जन्नत झूठी है वैसे ही कुरआन में बतायी गयी जन्नत भी झूठ होगी

यह लेख पाकिस्तान से प्रकाशित पुस्तक “इस्माईली मुशाहीर “के आधार पर लिखा गया है.प्रकाशक अब्बासी लीथो आर्ट .लयाकत रोड -कराची
ISLAMOPHOBIA AS GERMANY,CANADA ALL SHOUTING.

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